सूक्ष्म एवं लघु उद्यम के लिये ऋण नीति प्रलेख
सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्षेत्र को ऋण प्रदान करने हेतु बैंक की पुनरीक्षित ऋण नीति
पूरे विश्व में, सूक्ष्म और लघु उद्यमों को आर्थिक विकास के इंजन के रूप में और समान विकास को बढ़ावा देने वाला स्वीकार किया गया है। भारत में भी, सूक्ष्म और लघु उद्यम देश की समग्र औद्योगिक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अतिरिक्त, हाल के वर्षों में सूक्ष्म और लघु उद्यमों ने समग्र औद्योगिक क्षेत्र की तुलना में लगातार उच्च विकास दर दर्ज की है। इस क्षेत्र का प्रमुख लाभ कम पूंजीगत लागत पर अधिक रोजगार क्षमता है।
भारत सरकार सूक्ष्म और लघु उद्यम क्षेत्र के संवर्धन और विकास के लिए ठोस प्रयास कर रही है, जिससे सूक्ष्म और लघु उद्यम क्षेत्र, समग्र औद्योगिक क्षेत्र की तुलना में अधिक गति से विकसित हो सके। इस क्षेत्र के विकास को सुगम बनाने के साथ-साथ उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए, सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006 लागू किया है, जो 2 अक्टूबर, 2006 से लागू है, यह इस क्षेत्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु है क्योंकि यह सूक्ष्म और लघु उद्यमों की सम्पूर्ण वयवस्था और परिचालनगत मुद्दों के साथ-साथ पूरी रूप रेखा को सुव्यवस्थित करता है।
सरकार की एक प्रमुख नीतिगत पहल सूक्ष्म और लघु उद्यम क्षेत्र को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण के अंतर्गत शामिल किया जाना है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि ऋण, सूक्ष्म और लघु उद्यम क्षेत्र की निरंतर वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण निविष्टियों में से एक है। सूक्ष्म और लघु उद्यम क्षेत्र को वाणिज्यिक बैंकों से प्रत्यक्ष रूप से कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रत्यक्ष सहायता प्राप्त होती रही है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के संदर्भ में सूक्ष्म और लघु उद्यम खंड को मुख्यत: निम्न रूप में वर्गीकृत किया गया है :
विवरण | विनिर्माण उद्यमों का संयंत्र एवं मशीनरी में मूल निवेश | सेवा क्षेत्र के उद्यमों के उपकरण में मूल निवेश |
सूक्ष्म उद्योग | रु. 25.00 लाख तक | रु. 10.00 लाख तक |
छोटे उद्यम | रु. 25.00 लाख से अधिक तथा रु. Rs. 500.00 तक | रु. 10.00 लाख से अधिक तथा रु. Rs. 200.00 तक |
माल के विनिर्माण / उत्पादन या संरक्षण में लगे उद्यम, जिनका संयंत्र तथा मशीनरी में निवेश (मूल लागत भूमि और भवन को छोड़कर और 1.1.1 में दिये गये मदों के अनुसार ) इकाई के स्थान के निरपेक्ष, 25.00 लाख रुपये से अधिक नहीं है।
सूक्ष्म (सेवा) उद्यम:वे उद्यम जो सेवाओं के प्रदान करने / प्रतिपादन में संलग्न है और जिनका उपकरणों में निवेश (मूल लागत भूमि और भवन और फर्नीचर, फिटिंग को छोड़ कर और1.1.2 में दिये गये मदों के अनुसार ) 10.00 लाख रुपये से अधिक नहीं है।
लघु (विनिर्माण) उद्यम:माल के विनिर्माण / उत्पादन या संरक्षण में लगे हुए उद्यम और जिनका संयंत्र और मशीनरी में निवेश (मूल लागत भूमि और भवन को छोड़कर और लघु उद्योग मंत्रालय की अधिसूचना संख्या एसओ 1722 (ई), दिनांक 5 अक्टूबर 2006 द्वारा निर्दिष्ट वस्तुएँ, जो अनुलग्नक 1 में दी गई हैं।) रु.5.00 करोड़ से अधिक नहीं है।
लघु (सेवा) उद्यम:वे उद्यम जो सेवाओं को प्रदान करने / प्रतिपादन करने में लगे हुए हैं और जिनका उपकरण में निवेश (मूल लागत भूमि, भवन और फर्नीचर, फिटिंग को छोड़कर, और अन्य जो सीधे प्रदान की गई सेवा से संबंधित नहीं हैं या सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के अंतर्गत हो सकते हैं) 2.00 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को पर्याप्त और समय पर ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- अधिक केंद्रित तरीके से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्रेडिट पोर्टफोलियो को संभालने के लिए सभी स्तरों पर एक संगठनात्मक संरचना तैयार करना
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के ऋण प्रवाह में सुधार करने के लिए ताकि 5 वर्षों में इस क्षेत्र को ऋण दोगुना हो सके।
- उदारीकृत शर्तों पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को ऋण वितरित करने के लिए शाखाओं को दिशा-निर्देश प्रदान करना
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को ऋण देने पर व्यापक दिशानिर्देश
- महत्व वाले उद्यमों की पहचान करना |
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र की संरचना
- मूल्य निर्धारण नीति
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र अग्रिमों पर न्यूनतम 20% वर्ष दर वर्ष वृद्धि प्राप्त करने के लिए बैंकों को अपना लक्ष्य स्वयं निर्धारित करने की सलाह दी जाती है।
- लघु उद्यमों के भीतर सूक्ष्म उद्यमों को ऋण देने के लिए उप-लक्ष्य, जिन्हें प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण के तहत शामिल किया गया है, निम्नानुसार हैं:
a) लघु उद्यम क्षेत्र के कुल अग्रिमों का 40% सूक्ष्म उद्यम (विनिर्माण ) जिसका संयंत्र तथा मशीनरी में निवेश रु10.00 लाख तक हो, को और सूक्ष्म (सेवा) उद्यम जिसका 4.00 लाख रुपये तक का उपकरण में निवेश हो, में होना चाहिए
b) लघु उद्यम क्षेत्र के कुल अग्रिमों का 20% सूक्ष्म (विनिर्माण) उद्यम क्षेत्र में, जिसमें संयंत्र और मशीनरी में रु.10.00 लाख से अधिक तथा रु. 25.00 लाख तक निवेश हो और सूक्ष्म (सेवा) उद्यम जिसका 4.00 लाख रुपये तक का उपकरण में निवेश हो, किया जाना चाहिए
(इस प्रकार, लघु उद्यमों के 60% अग्रिमों को सूक्ष्म उद्यमों में जाना चाहिए)
वार्षिक संवितरण लक्ष्य
- लघु व सूक्ष्म उद्यमों के ऋण में 20% की वर्ष दर वर्ष वृद्धि प्राप्त की जानी चाहिए।
- सूक्ष्म उद्यमों के खातों की संख्या में वार्षिक वृद्धि कम से कम 10% होनी चाहिए।
- ऋण आवेदन :
मौजूदा सामान्य ऋण आवेदन-सह-मूल्यांकन प्रारूप जो कि सभी ऋणों पर लागू होता है, जो कि सीमा के निरपेक्ष है, एमएसई क्षेत्र के वित्तपोषण के लिए लागू होगा।
- ऋण आवेदनों की पावति :
प्रत्येक शाखा इस क्षेत्र के अंतर्गत वित्तपोषण के लिए उधारकर्ताओं से प्राप्त ऋण आवेदनों की एक पावती जारी करेगी और उसी का रिकॉर्ड बनाए रखेगी।
- आवेदनों का निपटान :
सभी प्रकार से आवेंदन के पूर्ण होने तथा चेक लिस्ट के अनुसार संलग्नक लगे होने पर ऋण सीमा अथवा वर्तमान ऋण सीमा में रु2 लाख तक की बढोत्तरी, दो सप्ताह के भीतर; 5 लाख रुपये तक की ऋण सीमा आवेदन प्राप्ति की दिनांक से 4 सप्ताह; 5 लाख रुपये से अधिक के आवेदन उचित समय सीमा के भीतर।
- आवेदनों की प्राप्ति / स्वीकृति / अस्वीकृति का रजिस्टर:
अ) प्रत्येक शाखा में एक रजिस्टर रखा जाना चाहिए जिसमें आवेदन प्राप्ति की दिनांक, अनुमोदन / संवितरण, कारणों के साथ अस्वीकृति की दिनांक अंकित की जानी चाहिए। शाखा में अंचल प्रमुख व अन्य अधिकरियों के दौरे के समय सत्यापन के लिए रजिस्टर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
ब.) शाखा प्रबंधक आवेदन को अस्वीकार कर सकता है (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जन जाति को छोड़कर)। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जन जाति के आवेदकों के प्रस्तावों के मामले में, शाखा प्रबंधक से उच्च स्तर पर अस्वीकृति की जानी चाहिए।
स.) अस्वीकृति का कारण फेयर प्रैक्टिस लेंडर्स कोड में उल्लिखित शर्त के अनुसार उधारकर्ता को सूचित किया जाएगा।
ऋण के प्रकार :सूक्ष्म एवं लघु उद्यम इकाइयों को विभिन्न आवश्यकताओं के लिए अलग अलग प्रकार की ऋण सुविधाएं दी जा सकती हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल होंगे:
- सावधि ऋण / मांग ऋण / आस्थगित भुगतान गारंटी:
पूंजीगत वस्तुओं (प्रयोग की हुई को छोड़कर) के अधिग्रहण के लिए, अचल संपत्ति, वाहन, संयंत्र और मशीनरी, भूमि की खरीद, इमारतों का निर्माण आदि हेतु। एक बार प्रयोग की हुई मशीनरी की खरीद के सापेक्ष सावधि ऋण की अनुमति देने के लिए इस नीति में कोई प्रावधान नहीं है।
- कैश क्रेडिट, ओवरड्राफ्ट आदि के माध्यम से कार्यशील पूंजी:
1.कच्चे माल की खरीद, घटक, भंडार और न्यूनतम स्तर पर इन वस्तुओं के स्टॉक का रखरखाव और प्रक्रियाधीन एवं तैयार माल का स्टॉक
2.रसीद चालान / बिल सहित प्राप्तियों के सापेक्ष वित्त
3.जहां इकाइयों को अपने उत्पादों के विपणन के लिए बड़े पैमाने पर खर्च उठाना पड़ता है वहाँ विपणन खर्चों को पूरा करना ।
c) बिल/साख पत्र के अंतर्गत अथवा उससे इतर खरीदे एवंभुनाये गये बिल
(d) निर्यात ऋण सुविधाएं जैसे पैकिंग क्रेडिट, खरीदे गए विदेशी बिल/ यूएफबीपी।
(e) कच्चे माल/ पूंजीगत वस्तुओं की खरीद हेतु ऑन साइट/उपयोगिता के आधार पर साख पत्र
(f) कार्यनिष्पादन हेतु बैंक गारंटी, अग्रिम भुगतान, निविदा धन, सुरक्षा जमा, ऑर्डर प्राप्त करने के लिए गारंटी, कच्चे माल की खरीद के लिए आदि।
सावधि ऋण हेतु | कार्यशील पूंजी हेतु |
कारखाने की भूमि और भवन के मामले में, 20% का कुल मार्जिन | स्टॉक और प्राप्तियों पर 25% समान मार्जिन। निर्यात ऋण के लिए मार्जिन 10% निर्धारित किया जा सकता है |
संयंत्र व मशीनरी और उपकरण के मामले में मार्जिन 20% प्रस्तावित है। |
- पिछले 3 वर्षों से बिक्री में लगातार वृद्धि
- विगत 3 वर्षों से लगातार लाभ
- विगत 3 वर्षों के दौरान “ए: या उसके समान तथा उससे उच्च श्रेणी निर्धारण और विगत 3 वर्षों के दौरान श्रेणी निर्धारण (क्रेडिट रेटिंग) में कोई कमी न हुई हो
- ईकाई की संपत्ति (वर्तमान में भी निर्धारित) बैंक के पक्ष में सृजित है और प्रवर्तक / निदेशक की व्यक्तिगत गारंटी उपलब्ध है
- आस्ति कवरेज अनुपात 1: 5 से अधिक
- अन्य अधिग्रहण मानदंडों का अनुपालन किया जाता है
श्रेणी | गारंटी की अधिकतम सीमा, जिसकी अधिकतम सुविधा है | ||
रु. 5 लाख तक | रु. 5 लाख से अधिक रु. 50 लाख तक | रु. 50 लाख से अधिक रु. 100 लाख तक | |
सूक्ष्म उद्योग | चूक धनराशि का 85% ,अधिकतम रु. 4.25 लाख रु. | चूक धनराशि का 75%, अधिकतम रु.37.50 लाख | रुपये 37.50 प्लस चूक धनराशि का 50% उपरोक्त रुपये 50 लाख अधिकतम सीमा रुपये 62.50 लाख के विषयाधीन हैं। |
महिला उद्यमी / पूर्वोत्तर क्षेत्र (सिक्किम सहित) में अवस्थित इकाईयां इकाइयाँ | चूक धनराशि का 80% ,अधिकतम रु. 40 लाख रु. | रुपये 40 लाख प्लस चूक धनराशि का 50%, उपरोक्त रुपये 50 लाख अधिकतम सीमा रुपये 65 लाख के विषयाधीन हैं। |
- भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, कारीगरों, गाँव और कुटीर उद्योगों और अन्य सूक्ष्म एवं लघु उद्यम इकाइयों को उपकरण वित्त या कार्यशील पूंजी या दोनों के लिए रु. 100.00 लाख की वित्तीय सहायता, सम्मिश्र सवधि ऋण माना जाना चाहिए।
- यह अधिकांश्तः सूक्ष्म एवं लघु उद्यम को एकल स्थान से ऋण सुविधा प्राप्त करने में सक्षम करेगी । इसके साथ ही यह लघु उद्यम वित्तीय केंद्र से कार्यशील पूंजी हेतु सावधि ऋण तथा बैंकों से कार्यशील पूंजी लेने की आवश्यकता को समाप्त करेगा।
- यह सुविधा-वार अलग-अलग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के बजाय केवल दस्तावेजों के एक सेट पर हस्ताक्षर करने की सुविधा प्रदान करेगा।
क्षेत्र पदधिकारियों से प्राप्त प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि रु.1.00 करोड़ तक के ऋण आंतरिक ऋण श्रेणी निर्धारण के अधीन नहीं होंगे
- 1 करोड़ रुपये से अधिक के कुल निवेश के लिए, ब्याज की दर ऋण श्रेणी निर्धारण के अनुसार तय की जाती है
सूक्ष्म एवं लघु उद्यम के लिये हमारे बैंक का ऋण श्रेणी निर्धारण मोड्यूल हमारे बैंक के ऋण नीति प्रलेख के अनुसार होगा।
- बाहरी ऋण श्रेणी निर्धारण एजेंसियों द्वारा श्रेणी निर्धारण :
हमारे बैंक ने सूक्ष्म एवं लघु उद्यम ऋण प्राप्तकर्ताओं की ऋण श्रेणी निर्धारण के लिये एस एम ई आर ए SMERA, फिच रेटिंग्स इंडिया (प्रा.) लिमिटेड, डन एंड ब्रैड स्ट्रीट और आई सी आर ए (ICRA) लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किया है। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC) को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है, जो सूक्ष्म और लघु उद्यमों से सूचिबद्ध किसी एजेंसी से (विनिर्माण क्षेत्र, अर्थात् पहले SSI इकाइयों) ऋण श्रेणी निर्धारण (क्रेडिट रेटिंग) प्राप्त करने वाली इकाइयों को सब्सिडी प्रदान करती है। एनएसआईसी सब्सिडी योजना के तहत रेटिंग एजेंसियों द्वारा किया गया ऋण श्रेणी निर्धारण (क्रेडिट रेटिंग) उधारकर्ता के साथ-साथ ऋणदाता के लिए भी निर्णायक है। हालाँकि, अधिग्रहण किये गये खाते के मामले में वर्तमान दिशानिर्देश जारी रहेंगे।
मूल्य निर्धारण :सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्षेत्र में चूक का जोखिम उधारकर्ताओं के एक विस्तृत आधार के बीच फैला हुआ है और इसलिए मूल्य निर्धारण-
- निश्चित सीमा तक क्रेडिट रेटिंग से नहीं जुड़ा होगा, वर्तमान में रु. 1.00 करोड़ तक।
- रुपये 1 करोड से ऊपर की क्रेडिट सीमा के लिए घटक की क्रेडिट रेटिंग से जुड़ा होगा।
साथ ही आरबीआई के निर्देशों को समय-समय पर ध्यान में रखा जाएगा
बैंक के प्रचलित दिशा-निर्देशों के अनुसार, चुकौती में डिफ़ॉल्ट की अवधि के लिए, 1% दंड स्वरूप ब्याज का भुगतान, वित्तीय विवरणों की अनुपलब्धता, नियमों और शर्तों का अनुपालन न करने आदि के लिए किया जाएगा
अग्रिम की राशि | ऋण और डीपीजी से भिन्न अग्रिम के लिए प्रसंस्करण शुल्क | सावधि ऋण व डीपीजी के लिए प्रसंस्करण शुल्क |
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रु. 25000/- तक | शून्य | शून्य |
रु. 25000/- से अधिक | रु. 350/- प्रति लाख/न्यूनतम रु. 350/- | स्वीकृत सीमा का1.1236% , न्यूनतम रु. 600/- |
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रु. 25000/- तक | शून्य | शून्य |
रु. 25000/- से अधिक | रु. 350/- प्रति लाख/न्यूनतम रु. 350/- | रु. 120/- प्रति लाख, न्यूनतम रु. 250/- अधिकतम रु. . 55000/- |
कार्यशील पूंजी सीमाओं की गणना
विनिर्माण क्षेत्ररु. 5 करोड तक के सूक्ष्म एवं लघु उद्यम
सेवा क्षेत्ररु. 1 करोड तक के सूक्ष्म एवं लघु उद्यम
तीन महीने के अनुमानित परिचालन चक्र के आधार पर अनुमानित कुल कारोबार का 20% की दर से कार्यशील पूंजी वित्तपोषण आवश्यकताओं के लिए कुल व्यापार विधि लागू होगी।
इसके अतिरिक्त, इस तरह की इकाई की कार्यशील पूंजी की आवश्यकता का मूल्यांकन पारंपरिक पद्धति के अनुसार किया जाना चाहिए और यदि गणना की गई आवश्यकता अनुमानित टर्नओवर विधि के आधार पर की गई गणना से अधिक है तो उसी पर विचार किया जाना चाहिए।
कार्यशील पूंजी सीमाओं की गणना
विनिर्माण क्षेत्रसूक्ष्म और लघु उद्यम - रुपये 5 करोड़ से अधिक
सेवा क्षेत्र के सूक्ष्म और लघु उद्यम -1 करोड़ रु से अधिक तथा 2 करोड़ रु तक
ऋण देने की दूसरी विधि के अनुसार अधिकतम अनुमत्त बैंक वित्त (MPBF) की गणना करने की पारंपरिक विधि जारी रहेगी। यदि इस सीमा में आने वाले किसी भी ऋण प्राप्तकर्ता को नकद बजट प्रणाली में स्थानांतरित होने की इच्छा है, तो इसे स्वीकार किया जा सकता है।
सावधि ऋण
क्र. | विवरण |
I | सावधि ऋण के मामले में, डेब्ट इक्विटी अनुपात (डीईआर) सामान्यत: 3: 1 से ऊपर नहीं होना चाहिए |
II | तथापि, पूंजी गहन उद्योगों के मामले में, 5: 1 माना जा सकता है |
III | सावधि ऋण के मामले में, 1.50: 1 का न्यूनतम औसत डीएससीआर किसी भी नए कनेक्शन के लिए उचित आवश्यकता माना जाएगा। |
IV | हालाँकि स्वीकृति अधिकारी, जो कि अंचल प्रमुख के पद से कम न हो, के द्वारा मामले के गुणों के आधार पर छूट पर विचार किया जा सकता है। |
V | छूट की अवधि परियोजना/प्रसताव की आवश्यकता के अनुसार होगी |
- समूह आधारित दृष्टिकोण को महत्व वाला क्षेत्र माना जाना चाहिए।
- समूह वित्तपोषण दृष्टिकोण उद्यमियों के लिए परिवहन की लागत को कम करता है
- अंचल कार्यालय / शाखाएँ, चिन्हित की गईं विशेष क्रेडिट डिलीवरी शाखाओं तथा समूह के निकट स्थित शाखाओं में सूक्ष्म और लद्यु उद्यम क्षेत्र के वित्तपोषण को उचित महत्च देंगी।
बैंक के ऋण नीति दस्तावेज के अनुसार।
चुकौती अनुसूची को निर्वाह आवश्यकताओं, अधिशेष उत्पादन क्षमता, लाभ-अलाभ स्थिति, परिसंपत्ति का जीवन, आदि को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाना चाहिए, न कि "तदर्थ" तरीके से। अधिस्थगन अवधि को छोड़कर अधिकतम द्वार से द्वार अवधि 60 महीने से अधिक नहीं होना चाहिए।
सम्मिश्र ऋण के संबंध में, केवल सावधि ऋण घटक के लिए पुनर्भुगतान अनुसूची तय की जा सकती है।
6 महीने से 1 वर्ष की अवधि के लिए अधिस्थगन अवधि को परियोजना की प्रकृति और वाणिज्यिक उत्पादन की शुरुआत को ध्यान में रखते हुए अनुमति दी जा सकती है
संयंत्र एवं मशीनरी, उपकरण और अन्य अचल संपत्तियों के लिए ऋण राशि का संवितरण डिमांड ड्राफ्ट / पे ऑर्डर के माध्यम से आपूर्तिकर्ता के पक्ष में किया जाएगा। शाखाएँ मासिक / त्रैमासिक आधार पर अंतिम उपयोग सत्यापन सुनिश्चित करेंगीं।
खातों की निगरानी के लिए नीति निर्देश जिनमें प्रलेखन, पर्यवेक्षण और खातों पर नियंत्रण, विशेष निगरानी / संभावित एनपीए आदि शामिल हैं, बैंक की ऋण निगरानी नीति 2007-08 और उसके किसी संशोधन के अनुसार हैं।
जहाँ कहीं भी सूक्ष्म और लद्यु उद्यम क्षेत्र को दिया गया ऋण सीजीटीएमएसई आच्छादन हेतु अर्ह है वहां संबंधित शाखा प्रमुख और अंचल कार्यालय के संबंधित अधिकारियों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे यह सुनिश्चित करें कि संबंधित खाते सीजीटीएमएसई के अंतर्गत आच्छादित हैं तथा गारंटी शुल्क एवं वार्षिक शुल्क का भुगतान सीजीटीएमएसई को समय से किया जाता है।
बैंक का कृषि और ग्रामीण व्यवसाय विभाग बैंक में इस नीति का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा
यदि इस नीति में किसी भी संशोधन / परिवर्तन को मंजूरी दी जाती है, तो बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक / कार्यकारी निदेशक इसे अनुमोदित करेंगे और ऋण जोखिम प्रबंधन समिति (CRMC) और बैंक के निदेशक मंडल द्वारा इसकी मंजूरी इसे शाखा/कार्यालयों में परिचालित करने से पूर्व मिल जाएगी।
क्र. | विवरण |
1 |
लद्यु उद्यमी क्रेडिट कार्ड |
2 |
कारीगर क्रेडिट कार्ड |
3 |
प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पी.एम.ई.जी.पी) |
4 |
सूक्ष्म और लघु उद्यमों (सी.जी.टी.एम.एस.ई) के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फंड के तहत संपार्श्विक के बिना ऋण |
5 |
कपड़ा इकाइयों के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (टीयूएफएस योजना) के तहत ऋण |
6 |
स्वरोजगार क्रेडिट कार्ड योजना |
7 |
यूको उद्योग मित्र |
8 |
यूको बुनकर कार्ड |
9 |
यूको महिला प्रगति धरा |
10 |
सूक्ष्म एवं लद्यु उद्यम इकाइयों को समग्र ऋण |
11 |
हथकरघा बुनकर समूह के वित्तपोषण के लिए योजना |
12 |
प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना के तहत ऋण। |
13 |
यूको चैनल योजना |
14 |
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए योजना |
15 |
यूको वाणिज्यिक वाहन वित्त योजना |
16 |
यूको डॉक्टर |